दिल में छेद! जानिए इस गंभीर समस्या के पीछे छुपे हैरान कर देने वाले कारण


दिल में छेद: क्या है यह समस्या?


'दिल में छेद' सुनने में एक गंभीर और डरावना शब्द लगता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह मेडिकल टर्म है और इसे डॉक्टरी भाषा में 'हार्ट डिफेक्ट' या 'कंजेनिटल हार्ट डिफेक्ट' कहा जाता है? यह जन्मजात (जन्म से मौजूद) हो सकता है या किसी अन्य कारण से विकसित हो सकता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि दिल में छेद क्यों होता है, इसके क्या लक्षण हैं, और इसे कैसे रोका या इलाज किया जा सकता है।


दिल में छेद! जानिए इस गंभीर समस्या के पीछे छुपे हैरान कर देने वाले कारण



दिल में छेद का मतलब क्या है?


दिल में छेद का मतलब है दिल के किसी हिस्से में एक असामान्य छेद होना। यह आमतौर पर दिल की दीवार (सेप्टम) में होता है, जो दिल के चार कक्षों को अलग करती है। जब इस दीवार में छेद होता है, तो ऑक्सीजन युक्त और ऑक्सीजन रहित खून आपस में मिल जाते हैं, जिससे शरीर के अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती।


डॉक्टरी भाषा में, इसे दो प्रकारों में बांटा जाता है:


1. एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट (ASD): यह ऊपरी दो कक्षों (एट्रिया) के बीच होता है।



2. वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (VSD): यह निचले दो कक्षों (वेंत्रिकल्स) के बीच होता है।



दिल में छेद के कारण

दिल में छेद के पीछे कई कारण हो सकते हैं। आइए इन्हें विस्तार से समझते हैं:


1. जन्मजात कारण (Congenital):

  • जब बच्चा मां के गर्भ में विकसित हो रहा होता है, तो कुछ मामलों में दिल का पूर्ण विकास नहीं हो पाता, जिससे छेद हो सकता है।


  • मां के गर्भावस्था के दौरान वायरस इंफेक्शन, जैसे रुबेला, इस समस्या को बढ़ा सकते हैं।


  • मां की गलत जीवनशैली, जैसे शराब या धूम्रपान का सेवन भी एक बड़ा कारण हो सकता है।




2. जेनेटिक फैक्टर:

अगर परिवार में किसी को पहले यह समस्या रही हो, तो बच्चे में इसका जोखिम बढ़ सकता है।




3. बचपन या व्यस्क अवस्था में:

  • हार्ट अटैक या किसी अन्य हार्ट डिसऑर्डर की वजह से भी दिल में छेद हो सकता है।
  • बैक्टीरिया या वायरस के संक्रमण के कारण हृदय की दीवार कमजोर होकर छेद बना सकती है।



दिल में छेद के लक्षण

दिल में छेद का हर किसी पर अलग-अलग प्रभाव पड़ सकता है। इसके सामान्य लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:


  • थकान और कमजोरी

  • सांस लेने में दिक्कत

  • सीने में दर्द

  • बार-बार संक्रमण होना

  • बच्चों में विकास धीमा होना

  • दिल की धड़कन का असामान्य होना


कुछ मामलों में, यह समस्या बिना किसी लक्षण के रहती है और केवल डॉक्टर की जांच के दौरान पता चलता है।



कैसे किया जाता है इसका इलाज?


1. मेडिकल जांच:

दिल में छेद की पहचान के लिए डॉक्टर ईकोकार्डियोग्राम, एक्स-रे, या सीटी स्कैन जैसी तकनीकों का सहारा लेते हैं।



2. दवाइयां:

अगर छेद छोटा हो, तो इसे दवाइयों से ठीक किया जा सकता है।

ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने वाली दवाइयां आमतौर पर दी जाती हैं।



3. सर्जरी:

अगर छेद बड़ा हो, तो सर्जरी की आवश्यकता होती है।

सर्जरी के दौरान छेद को बंद करने के लिए एक पैच लगाया जाता है।



4. कैथेटराइजेशन:

यह एक मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया है, जिसमें बिना चीरफाड़ के छेद को बंद किया जाता है।



क्या इसे रोका जा सकता है?

हालांकि जन्मजात कारणों को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन कुछ सावधानियां इस समस्या के जोखिम को कम कर सकती हैं:


  • गर्भावस्था के दौरान मां को स्वस्थ आहार और जीवनशैली अपनानी चाहिए।

  • संक्रमण से बचने के लिए वैक्सीन लगवाना जरूरी है।

  • नियमित स्वास्थ्य जांच करवाते रहें।

  • धूम्रपान और शराब से बचें।

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